Vishnu Chalisa Lyrics In Hindi PDF: हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में, विष्णु चालीसा एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह चालीस छंदों का एक पवित्र संग्रह है जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान विष्णु के गुणों की प्रशंसा और प्रशंसा करता है। अक्सर भक्तिभाव से जप की जाने वाली चालीसा का भक्तों के मन और हृदय पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस लेख में, हम इसकी उत्पत्ति, महत्व और लोगों के लिए गुरुवार को विष्णु चालीसा की प्रार्थना करने की प्रथा क्यों है, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
Vishnu Chalisa Lyrics In Hindi PDF विष्णु चालीसा
शब्द “चालीसा” स्वयं हिंदी शब्द “चालीस” से लिया गया है, जिसका अर्थ चालीस है, जो इस श्रद्धेय भजन में मौजूद चालीस छंदों को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि विष्णु चालीसा की रचना महान संत और कवि तुलसीदास ने की थी, जो 16वीं शताब्दी के दौरान रहते थे। तुलसीदास हिंदू साहित्य में अपने अमूल्य योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं, और विष्णु चालीसा एक ऐसा रत्न है जो उनके दिव्य चिंतन से उभरा।
दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
विष्णु चालीसा
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥
तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥
हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥
चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥
महत्व और उद्देश्य
भगवान विष्णु के प्रति भक्ति व्यक्त करना
विष्णु चालीसा का पाठ करने का प्राथमिक उद्देश्य ब्रह्मांड के संरक्षक और पालनकर्ता भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति व्यक्त करना है। इन छंदों का जाप करके, भक्त अपने जीवन में उनका दिव्य आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन चाहते हैं।
आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश
विष्णु चालीसा एक शक्तिशाली आध्यात्मिक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो सर्वशक्तिमान के साथ गहरा संबंध स्थापित करता है। भक्तों का मानना है कि इन पवित्र छंदों को ईमानदारी से पढ़ने से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो सकता है, जिससे उन्हें उच्च स्तर की चेतना और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है।
बाधाओं और परेशानियों को दूर करना
आमतौर पर यह माना जाता है कि विष्णु चालीसा का नियमित पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकता है और किसी के रास्ते से बाधाओं को दूर कर सकता है। भक्त अक्सर चुनौतीपूर्ण समय के दौरान बाधाओं और प्रतिकूलताओं पर काबू पाने के लिए दैवीय हस्तक्षेप की तलाश में इन छंदों की ओर रुख करते हैं।
इच्छाओं की पूर्ति
कई भक्तों का यह भी मानना है कि सच्चे दिल से विष्णु चालीसा का पाठ करने से उनकी वास्तविक इच्छाएं और इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। यह भगवान विष्णु की इच्छा के प्रति समर्पण करने और अपने जीवन के लिए उनकी दिव्य योजना पर भरोसा करने का एक तरीका है।
गुरुवार की शक्ति: इस दिन विशेष रूप से विष्णु चालीसा की प्रार्थना क्यों की जाती है
गुरुवार, जिसे हिंदी में “गुरुवर” के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित है। हिंदू परंपराओं में इसका अत्यधिक महत्व है और कई कारण इसे विष्णु चालीसा का पाठ करने के लिए शुभ दिन बनाते हैं।
वैदिक ज्योतिष एवं ग्रहों का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में सप्ताह का प्रत्येक दिन एक विशिष्ट ग्रह और देवता से जुड़ा होता है। गुरुवार का स्वामी बृहस्पति (बृहस्पति) है, जो ज्ञान, भाग्य और परोपकार का प्रतीक ग्रह है। भगवान विष्णु, ब्रह्मांडीय व्यवस्था और धार्मिकता के अवतार होने के नाते, बृहस्पति के गुणों के साथ निकटता से जुड़े हुए हैं।
भगवान विष्णु के अवतारों का स्मरण
ऐसा माना जाता है कि गुरुवार वह दिन है जब भगवान विष्णु ने दुनिया को बुराई से बचाने और धर्म को बहाल करने के लिए विभिन्न अवतार लिए थे। इस दिन भक्त उनके दिव्य स्वरूपों को स्वीकार करते हुए, विष्णु चालीसा के पाठ के माध्यम से उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आध्यात्मिक योग्यता और प्रगति
माना जाता है कि गुरुवार को विष्णु चालीसा का जाप करने से अधिक आध्यात्मिक योग्यता और प्रगति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गहरी भक्ति के साथ की गई प्रार्थनाओं का उत्तर दयालु भगवान द्वारा दिए जाने की संभावना अधिक होती है।
विष्णु चालीसा का पाठ कैसे करें
विष्णु चालीसा का पाठ करना एक सुंदर और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अभ्यास है। इसमें अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु को समर्पित चालीस श्लोकों का जाप शामिल है। पाठ कैसे करें, इसके बारे में चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:
एक शांत और शांतिपूर्ण जगह खोजें
एक शांतिपूर्ण कोना या कमरा चुनें जहाँ आप आराम से बैठ सकें और बिना ध्यान भटकाए अपनी प्रार्थनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
खुद को मानसिक रूप से तैयार करें
अपने दिमाग से किसी भी तरह की अव्यवस्था को दूर करें और अपनी इंद्रियों को शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लें। जैसे ही आप परमात्मा से जुड़ने की तैयारी करते हैं, अपने अंदर श्रद्धा की भावना पैदा करें।
शुरुआत मंगलाचरण से करें
भगवान विष्णु की एक छोटी प्रार्थना या आह्वान करके शुरुआत करें, पाठ के दौरान उनकी उपस्थिति और आशीर्वाद मांगें।
विष्णु चालीसा का पाठ करें
हार्दिक श्रद्धा के साथ विष्णु चालीसा के चालीस श्लोकों का पाठ करना शुरू करें। यदि आप चाहें तो पुनरावृत्ति पर नज़र रखने के लिए आप प्रार्थना माला का उपयोग कर सकते हैं।
चिंतन और मनन करें
पाठ पूरा करने के बाद, छंदों के अर्थ और महत्व पर विचार करने के लिए कुछ क्षण निकालें। भगवान विष्णु के साथ अपना संबंध गहरा करने के लिए ध्यान में संलग्न रहें।
आभार व्यक्त करें
भगवान विष्णु की दिव्य कृपा और आशीर्वाद के लिए उनका आभार व्यक्त करते हुए अपनी प्रार्थना समाप्त करें।
निष्कर्ष
अंत में, विष्णु चालीसा एक पूजनीय भजन है जो दुनिया भर के हिंदुओं के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है। इन छंदों को सच्ची भक्ति के साथ पढ़कर, भक्त भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उद्देश्य, शांति और समृद्धि से भरा जीवन जीने का लक्ष्य रखते हैं। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होने के कारण चालीसा का जाप करने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस पवित्र अभ्यास को खुले दिल से अपनाएं और विष्णु की दिव्य ऊर्जा को आध्यात्मिक पूर्णता की दिशा में अपनी यात्रा का मार्गदर्शन करने दें।
Frequently Asked Questions (FAQs)
What is Vishnu Chalisa, and what does it mean?
Vishnu Chalisa is a collection of forty verses in praise of Lord Vishnu, one of the principal deities in Hinduism. The word “Chalisa” is derived from the Hindi term “chalis,” which means forty, symbolizing the number of verses in this sacred hymn. The Chalisa extols the virtues and divine attributes of Lord Vishnu.
Who composed Vishnu Chalisa, and when?
Vishnu Chalisa is believed to have been composed by the great saint and poet Tulsidas during the 16th century. Tulsidas, renowned for his literary contributions, wrote this hymn as an expression of his deep devotion to Lord Vishnu.
What is the significance of reciting Vishnu Chalisa?
Reciting Vishnu Chalisa is considered highly auspicious and spiritually uplifting. Devotees believe that it fosters a deep connection with Lord Vishnu, leading to spiritual enlightenment, protection from negative energies, and the fulfillment of genuine desires.
Can anyone recite Vishnu Chalisa, or are there specific rules?
Vishnu Chalisa can be recited by anyone, regardless of age, gender, or caste. There are no strict rules for recitation. However, it is recommended to chant with sincerity, devotion, and a pure heart to experience its profound impact fully.
How often should one recite Vishnu Chalisa?
The frequency of reciting Vishnu Chalisa depends on individual preferences and spiritual practices. Some devotees choose to recite it daily as part of their morning or evening prayers, while others do so on specific occasions or Thursdays, which are considered especially auspicious for Lord Vishnu.
Are there any specific benefits of reciting Vishnu Chalisa?
Yes, reciting Vishnu Chalisa is believed to bring numerous benefits, including spiritual growth, inner peace, protection from negative influences, and the removal of obstacles from one’s life. It is also thought to grant the fulfillment of genuine desires and the blessings of Lord Vishnu.
What is the significance of reciting Vishnu Chalisa on Thursdays?
Thursdays are dedicated to Lord Vishnu and His incarnations. It is believed that reciting Vishnu Chalisa on this day enhances the spiritual merit of the practice and attracts the special blessings of Lord Vishnu.
Can non-Hindus recite Vishnu Chalisa?
Yes, Vishnu Chalisa is open to all individuals, regardless of their religious or cultural background. The hymn’s universal message of devotion and divine connection transcends religious boundaries.
Is there a specific time to recite Vishnu Chalisa?
While there is no specific time for recitation, many devotees prefer to recite Vishnu Chalisa during the morning or evening as part of their daily prayers. However, it can be chanted at any time of the day when one feels a deep spiritual inclination.
Is there a specific way to chant Vishnu Chalisa?
There is no strict format for chanting Vishnu Chalisa, but it is essential to recite the verses with sincerity, devotion, and understanding of their meanings. Some devotees use a prayer bead (mala) to keep track of the repetitions, but it is not mandatory.
Can Vishnu Chalisa be chanted silently or aloud?
Vishnu Chalisa can be chanted either silently or aloud, based on individual preferences. Both methods have their merits, and the key is to chant with heartfelt devotion and concentration.
Is it necessary to understand the meaning of the verses while reciting Vishnu Chalisa?
Though understanding the meaning of the verses can enhance the spiritual experience, it is not a prerequisite for recitation. The sincere chanting of Vishnu Chalisa with devotion is believed to invoke the blessings of Lord Vishnu regardless of one’s understanding of the Sanskrit language.
Remember that Vishnu Chalisa is a sacred and revered hymn in Hinduism, and its recitation should be approached with reverence and devotion. It offers a profound opportunity for spiritual growth and a deeper connection with the divine.